उदयपुर फाइल्स विवाद भारत के हालिया राजनीतिक और सामाजिक बहसों में से एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। यह विवाद एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म से जुड़ा है, जिसमें उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या को दर्शाया गया है। इस फिल्म की रिलीज के बाद देशभर में बहस छिड़ गई है और इसे लेकर कानूनी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

उदयपुर फाइल्स विवाद क्या है?
फिल्म “उदयपुर फाइल्स” एक डॉक्यूमेंट्री है जो जून 2022 में उदयपुर में हुए बर्बर हत्या कांड पर आधारित है। फिल्म में धार्मिक कट्टरता, सोशल मीडिया के दुरुपयोग और प्रशासनिक प्रतिक्रियाओं को दिखाया गया है। उदयपुर फाइल्स विवाद इसलिए शुरू हुआ क्योंकि कई संगठनों ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताया।
कोर्ट में उदयपुर फाइल्स विवाद
दिल्ली हाईकोर्ट ने “उदयपुर फाइल्स” की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी है। याचिका में कहा गया था कि फिल्म का उद्देश्य नफरत फैलाना और एक विशेष समुदाय के खिलाफ माहौल बनाना है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिल्म निर्माताओं से जवाब मांगा है।
सरकार की प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सरकार ने उदयपुर फाइल्स विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन इससे सामाजिक सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है कि फिल्म को सार्वजनिक रूप से दिखाने से पहले सेंसर बोर्ड की अनुमति ली जाए।
सोशल मीडिया पर उदयपुर फाइल्स विवाद की गूंज
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #UdaipurFilesVivad ट्रेंड करने लगा। कुछ लोग इसे सच्चाई दिखाने वाला कदम मानते हैं, तो कुछ इसे समाज में नफरत फैलाने वाला प्रचार मान रहे हैं। इस बहस ने लोगों को दो धड़ों में बांट दिया है।