दिल्ली पुलिस ने एक नई मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च की है जिसका नाम है “ट्रैफिक प्रहरी ऐप”। इस ऐप के जरिए अब आम नागरिक भी सड़क पर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों की रिपोर्ट कर सकते हैं — और इसके बदले उन्हें पुरस्कार (Rewards) भी मिल सकता है।
ऐप कैसे काम करता है?
डाउनलोड करें ऐप Google Play Store से।
रजिस्ट्रेशन करें आधार या मोबाइल OTP से।
फोटो या वीडियो लें उस वाहन की जो ट्रैफिक नियम तोड़ रहा हो।
लोकेशन और वाहन नंबर डालें।
Submit करें और पुलिस की जांच के बाद दोषी को ई-चालान जारी होगा।
✅ अगर रिपोर्ट सही निकली तो आपको पॉइंट्स और रिवॉर्ड्स मिलेंगे, जिन्हें बाद में कैश या गिफ्ट के रूप में बदला जा सकता है।
क्या मिलेंगे पुरस्कार?
दिल्ली पुलिस ने बताया कि हर सफल रिपोर्ट पर लोगों को डिजिटल पॉइंट्स मिलेंगे। ये पॉइंट्स बाद में:
पेट्रोल वाउचर
मोबाइल रिचार्ज
या Amazon गिफ्ट कार्ड जैसे रिवॉर्ड में बदले जा सकते हैं।
क्या मेरी पहचान गुप्त रहेगी?
हां, आपकी पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जाएगी। पुलिस केवल सबूत के आधार पर कार्रवाई करेगी। इससे लोग बिना डर के रिपोर्ट कर सकते हैं।
🏍️ किस तरह के ट्रैफिक उल्लंघन रिपोर्ट किए जा सकते हैं?
बिना हेलमेट बाइक चलाना
रेड लाइट जंप करना
मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना
गलत दिशा में ड्राइव करना
सीट बेल्ट न लगाना
सरकार का उद्देश्य क्या है?
यह ऐप दिल्ली में बढ़ते ट्रैफिक उल्लंघनों पर काबू पाने के लिए एक जन-सहभागिता मॉडल है। इससे आम जनता भी “डिजिटल ट्रैफिक प्रहरी” बनकर नियमों की निगरानी में भागीदार बन सकेगी।
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025 – संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने बटला हाउस एनकाउंटर पर बोलते हुए कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जब 2008 में दिल्ली में यह एनकाउंटर हुआ था, तब कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद रो पड़े थे और उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि सोनिया गांधी फूट-फूटकर रोने लगी थीं।
“अगर किसी के लिए रोना था, तो शहीद इंस्पेक्टर मोहन शर्मा के लिए रोते। लेकिन कांग्रेस ने आतंकियों पर आंसू बहाए,” शाह ने कहा।
यह टिप्पणी उस समय आई जब लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर बहस चल रही थी।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस बयान पर कांग्रेस ने तुरंत जवाब दिया। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा:
“मेरी मां के आंसू बटला हाउस के लिए नहीं थे, बल्कि उस दिन के लिए थे जब आतंकवादियों ने मेरे पिता (राजीव गांधी) की हत्या की थी।”
उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि पाहलगाम आतंकी हमले जैसी घटनाओं पर सुरक्षा में चूक क्यों होती है, और अब तक जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
बटला हाउस एनकाउंटर क्या था?
19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर स्थित बाटला हाउस में हुए एनकाउंटर में दो संदिग्ध आतंकी मारे गए थे। इस ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन शर्मा शहीद हो गए थे। उस समय कांग्रेस सरकार थी और इस कार्रवाई को लेकर जमकर राजनीति हुई थी।
💬 राजनीतिक प्रभाव
इस प्रकरण ने एक बार फिर कांग्रेस बनाम बीजेपी की पुरानी बहस को जगा दिया है। जहां भाजपा इसे आतंकवाद पर नरमी बताती है, वहीं कांग्रेस इसे संवेदनशीलता और लोकतंत्र के नाम पर उठाए गए सवालों से जोड़ती है।
एक डरावना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक बाइक सवार पर झाड़ियों में छिपे तेंदुए ने अचानक हमला कर दिया। यह पूरी घटना एक कार के डैशकैम में रिकॉर्ड हुई है। बताया जा रहा है कि यह हादसा भारत के एक पहाड़ी क्षेत्र में हुआ जहां सड़कें जंगलों से होकर गुजरती हैं। वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि एक बाइक सड़क से गुजर रही होती है, तभी झाड़ियों से अचानक एक तेंदुआ निकलकर उस पर झपटता है। तेंदुए द्वारा बाइक सवार पर हमला इतना अचानक होता है कि बाइक सवार को बचाव का कोई मौका नहीं मिलता।
सौभाग्य से पीछे आ रही एक कार के डैशकैम ने इस पूरी घटना को रिकॉर्ड कर लिया। तेंदुआ बाइक सवार को गिरा देता है लेकिन पास की कार का हॉर्न और शोर सुनकर तुरंत वहां से भाग जाता है। इस हमले के बाद स्थानीय वन विभाग और पुलिस मौके पर पहुंचती है और इलाके में गश्त बढ़ा दी गई है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे ऐसे इलाकों से गुजरते वक्त सतर्क रहें और अकेले यात्रा न करें। विशेषज्ञों के अनुसार, तेंदुए कभी-कभी मानव बस्तियों के करीब आ जाते हैं जब उन्हें भोजन की कमी होती है या जब जंगल में अतिक्रमण बढ़ जाता है। यह घटना न केवल वन्यजीवों के व्यवहार को समझने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह भी दर्शाती है कि मनुष्यों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष अब आम होता जा रहा है। वीडियो के सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि कैसे बढ़ते अतिक्रमण और शहरीकरण के चलते ऐसे खतरनाक मुठभेड़ हो रहे हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन को सतर्क किया है, बल्कि आम लोगों को भी जागरूक किया है कि जंगलों और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है।
उदयपुर फाइल्स विवाद भारत के हालिया राजनीतिक और सामाजिक बहसों में से एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। यह विवाद एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म से जुड़ा है, जिसमें उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या को दर्शाया गया है। इस फिल्म की रिलीज के बाद देशभर में बहस छिड़ गई है और इसे लेकर कानूनी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
उदयपुर फाइल्स विवाद क्या है?
फिल्म “उदयपुर फाइल्स” एक डॉक्यूमेंट्री है जो जून 2022 में उदयपुर में हुए बर्बर हत्या कांड पर आधारित है। फिल्म में धार्मिक कट्टरता, सोशल मीडिया के दुरुपयोग और प्रशासनिक प्रतिक्रियाओं को दिखाया गया है। उदयपुर फाइल्स विवाद इसलिए शुरू हुआ क्योंकि कई संगठनों ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताया।
कोर्ट में उदयपुर फाइल्स विवाद
दिल्ली हाईकोर्ट ने “उदयपुर फाइल्स” की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी है। याचिका में कहा गया था कि फिल्म का उद्देश्य नफरत फैलाना और एक विशेष समुदाय के खिलाफ माहौल बनाना है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिल्म निर्माताओं से जवाब मांगा है।
सरकार की प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सरकार ने उदयपुर फाइल्स विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन इससे सामाजिक सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है कि फिल्म को सार्वजनिक रूप से दिखाने से पहले सेंसर बोर्ड की अनुमति ली जाए।
सोशल मीडिया पर उदयपुर फाइल्स विवाद की गूंज
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #UdaipurFilesVivad ट्रेंड करने लगा। कुछ लोग इसे सच्चाई दिखाने वाला कदम मानते हैं, तो कुछ इसे समाज में नफरत फैलाने वाला प्रचार मान रहे हैं। इस बहस ने लोगों को दो धड़ों में बांट दिया है।
हरिद्वार भगदड़ 2025 की दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। रविवार की सुबह, उत्तराखंड के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण अफरा-तफरी मच गई, जिसके परिणामस्वरूप भगदड़ हो गई। इस दर्दनाक हादसे में 6 लोगों की जान चली गई और 15 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए।
📍 हादसा कैसे हुआ?
रविवार को सावन के तीसरे सोमवार से ठीक पहले हज़ारों श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर के दर्शन के लिए सुबह-सुबह मंदिर की सीढ़ियों और रास्तों पर जमा हुए थे। इसी बीच भीड़ बेकाबू हो गई। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे के अनुसार, एक अफवाह के चलते अचानक भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए।
🗣️ “यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, भगदड़ किसी बिजली के तार के गिरने की अफवाह से शुरू हुई।” — विनय शंकर पांडे, गढ़वाल आयुक्त (ANI को बयान)
त और घायलों की जानकारी
अब तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
15 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है।
घायलों को तुरंत हरिद्वार जिला अस्पताल और नजदीकी मेडिकल सेंटरों में भर्ती कराया गया है।
🙏 प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी
रीता देवी, जो बिहार से दर्शन के लिए आई थीं, ने बताया:
“हम मंदिर से नीचे उतर रहे थे तभी अचानक भीड़ में भगदड़ मच गई। मैं अपनी बेटी के साथ थी, लेकिन अफरा-तफरी में हम बिछड़ गए।”
19 वर्षीय अर्जुन ने कहा:
“मेरी माँ को गंभीर चोट लगी है और ICU में भर्ती हैं। हम तो सिर्फ दर्शन करने आए थे…”
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच
उत्तराखंड सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही, भविष्य में भीड़ प्रबंधन के लिए कड़े उपाय किए जाने की बात कही गई है।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले T20 मुकाबले में 49 रन से शानदार जीत दर्ज की। यह मैच भारतीय खिलाड़ियों के जबरदस्त प्रदर्शन का गवाह बना, जहां स्मृति मंधाना और जेमिमा रॉड्रिग्स ने अपनी बैटिंग से चमक बिखेरी, वहीं अनुष्का साधु ने गेंदबाजी में अपना जलवा दिखाया।
भारतीय पारी का दमदार प्रदर्शन
मैच में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। भारतीय ओपनर्स ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया। स्मृति मंधाना और जेमिमा रॉड्रिग्स ने टीम को एक मजबूत शुरुआत दी। मंधाना ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए 51 गेंदों पर 67 रन बनाए, जिसमें 7 चौके और 2 छक्के शामिल थे। वहीं, रॉड्रिग्स ने संयमित लेकिन आक्रामक पारी खेली और 41 गेंदों पर 52 रन बनाए। उनकी पारी में 6 चौके और 1 छक्का शामिल था।
भारत ने निर्धारित 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 160 रन बनाए। अंत के ओवरों में वेस्टइंडीज की गेंदबाजों ने वापसी की कोशिश की, लेकिन भारत के स्कोर को रोकने में नाकाम रही।
साधु की गेंदबाजी का कमाल
161 रनों का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम शुरुआत से ही दबाव में नजर आई। भारतीय गेंदबाजों ने लगातार विकेट लेते हुए विपक्षी टीम को बड़ा स्कोर बनाने से रोक दिया। इस दौरान अनुष्का साधु ने शानदार गेंदबाजी करते हुए महज 4 ओवर में 21 रन देकर 3 महत्वपूर्ण विकेट लिए। साधु की इस परफॉर्मेंस ने वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी।
अन्य गेंदबाजों में दीप्ति शर्मा और पूनम यादव ने भी किफायती गेंदबाजी करते हुए 1-1 विकेट झटके। भारतीय गेंदबाजों की शानदार प्रदर्शन की बदौलत वेस्टइंडीज की टीम 20 ओवरों में केवल 111 रन ही बना सकी।
मैच का मुख्य आकर्षण
स्मृति मंधाना और जेमिमा रॉड्रिग्स की पारी: दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर टीम को ठोस शुरुआत दी और अपनी अर्धशतक से टीम को मजबूत स्कोर तक पहुंचाया।
अनुष्का साधु की गेंदबाजी: साधु ने अपने स्पेल में सटीक लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाजी की, जिससे वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी बिखर गई।
टीम का सामूहिक प्रदर्शन: बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही क्षेत्रों में भारतीय टीम का प्रदर्शन शानदार रहा।
कैसा रहा वेस्टइंडीज का खेल?
वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी शुरुआत से ही दबाव में रही। उनकी ओपनर्स भारतीय गेंदबाजों के सामने टिक नहीं पाईं। कप्तान हेले मैथ्यूज ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाए लेकिन वह भी बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रहीं। पूरी टीम एकजुट होकर खेल दिखाने में असफल रही।
अगले मैच पर नजर
इस जीत के साथ भारत ने सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। दोनों टीमों के बीच अगला मुकाबला और भी रोमांचक होने की उम्मीद है। भारतीय टीम अपने इस प्रदर्शन को अगले मैच में भी दोहराने का प्रयास करेगी, वहीं वेस्टइंडीज टीम अपनी गलतियों से सबक लेकर वापसी करने की कोशिश करेगी।
भारत के सबसे महान तबला वादकों में से एक, उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन 73 वर्ष की उम्र में 2024 के अंत में हुआ। उनका निधन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में हुआ। उनके निधन से न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति हुई है, बल्कि पूरी दुनिया में संगीत प्रेमियों के दिलों में शोक की लहर दौड़ गई है।
जाकिरहुसैनकायोगदानऔरजीवन
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वे भारत के प्रसिद्ध तबला वादक, संगीतकार और गुरु थे, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी एक नई पहचान दिलाई। वे अपने समय के सबसे बड़े संगीतकारों में से एक माने जाते थे, जिनकी वादन शैली और रचनात्मकता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अद्वितीय स्थान दिलाया।
जाकिर हुसैन ने शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ विभिन्न संगीत शैलियों और वाद्य यंत्रों के साथ सहयोग किया। उनका संगीत का दायरा बेहद विस्तृत था, और वे अपनी कला में हमेशा नयापन और नवीनता लाने के लिए प्रसिद्ध थे।
2023 मेंमिलाथापद्मविभूषण
उस्ताद जाकिर हुसैन को 2023 में भारतीय सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें भारतीय संगीत के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया था। पद्म विभूषण से नवाजे जाने के बाद, जाकिर हुसैन ने अपने संगीत को और भी बड़े पैमाने पर फैलाने का संकल्प लिया था। इस सम्मान के मिलने के कुछ ही महीने बाद, उनका निधन भारतीय संगीत और संस्कृति के लिए एक बड़ा नुकसान बनकर सामने आया।
तबलाकेसाथउनकीअनूठीयात्रा
जाकिर हुसैन का तबला वादन एक कला थी, जिसमें वे अपनी तकनीकी दक्षता के साथ-साथ भावनाओं को भी बखूबी व्यक्त करते थे। उन्होंने न केवल पारंपरिक शास्त्रीय संगीत की जड़ों को मजबूत किया, बल्कि उसे समकालीन और वैश्विक संगीत शैलियों से भी जोड़ा। उनकी तबला पर पकड़ इतनी मजबूत थी कि उन्होंने विभिन्न संगीत शैलियों, जैसे जैज़, रॉक और वर्ल्ड म्यूजिक के साथ भी प्रदर्शन किए थे, जिनमें उन्होंने अद्वितीय तालों और लय में समृद्ध प्रयोग किए।
उनके साथ काम करने वाले पश्चिमी संगीतकारों और भारतीय कलाकारों ने हमेशा उनकी अद्वितीय शैली और उनके साथ काम करने के अनुभव को सराहा। जाकिर हुसैन का नाम आज भी भारतीय और वैश्विक संगीत में सर्वश्रेष्ठ तबला वादकों में लिया जाता है।
उनकाजीवन, उनकेयोगदानऔरउनकीविरासत
उस्ताद जाकिर हुसैन का जीवन संगीत और कला के प्रति गहरी निष्ठा और प्रेम का प्रतीक था। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक सशक्त ब्रांड एंबेसडर बने, और उनकी आवाज़ और ताल ने दुनिया भर में लाखों दिलों को छुआ। उन्होंने अपनी कला को न केवल मंच पर प्रस्तुत किया, बल्कि अपनी शिक्षा और गुरुशिष्य परंपरा के माध्यम से कई नए वादकों को भी प्रशिक्षित किया।
उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी, क्योंकि उनके द्वारा छोड़ी गई संगीत की धारा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत की एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी कला, उनके योगदान और उनके द्वारा रचे गए संगीत को हमेशा याद किया जाएगा।
शोकसंवेदनाऔरश्रद्धांजलि
उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर पूरे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। दुनिया भर के संगीत प्रेमियों और कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनका योगदान और उनका संगीत भारतीय कला और संस्कृति का अमूल्य धरोहर बनकर रहेगा।
बॉलीवुड न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में एक विशाल दर्शक वर्ग रखता है। यहां के सितारे अपनी फिल्मों से करोड़ों रुपये कमाते हैं और शानदार लाइफस्टाइल जीते हैं। अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि कौन से बॉलीवुड के एक्टर सबसे अमीर हैं, तो इस आर्टिकल में हम आपको 2024 में बॉलीवुड के 10 सबसे अमीर एक्टर्स के बारे में बताएंगे।
1. शाहरुख़ ख़ान (Shah Rukh Khan)
शाहरुख़ ख़ान, जिसे बॉलीवुड का बादशाह भी कहा जाता है, बॉलीवुड के सबसे अमीर अभिनेता हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 7000 करोड़ रुपये के आसपास है। शाहरुख़ अपनी फिल्मों के अलावा प्रोडक्शन, IPL टीम (कोलकाता नाइट राइडर्स) और अन्य बिजनेस से भी पैसा कमाते हैं। उनके पास शानदार घर (मन्नत) और लग्ज़री कारों का एक शानदार कलेक्शन भी है।
2. अक्षय कुमार (Akshay Kumar)
अक्षय कुमार ने बॉलीवुड में अपनी कड़ी मेहनत से एक मजबूत पहचान बनाई है। उनकी कुल संपत्ति लगभग 4000 करोड़ रुपये के करीब है। वे कई ब्रांड्स के एंबेसडर हैं और अपनी फिल्मों के जरिए भी बहुत अच्छा पैसा कमाते हैं। उनके पास कई महंगी प्रॉपर्टी और लग्ज़री कारें हैं। अक्षय कुमार एक साल में 4-5 फिल्मों में काम करते हैं, जिससे उनका आय का स्रोत काफी बड़ा हो जाता है।
3. सलमान ख़ान (Salman Khan)
सलमान ख़ान का नाम बॉलीवुड के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में आता है। उनकी कुल संपत्ति लगभग 3800 करोड़ रुपये है। सलमान की फिल्मों के अलावा उनके पास Being Human नामक एक सफल ब्रांड है। इसके अलावा, वे कई टेलीविज़न शो (जैसे कि बिग बॉस) के होस्ट भी हैं और अपने प्रोडक्शन हाउस के जरिए भी मुनाफा कमाते हैं।
4. आमिर ख़ान (Aamir Khan)
आमिर ख़ान को “मिस्टर परफेक्शनिस्ट” कहा जाता है और उनकी फिल्मों ने हमेशा बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है। उनकी कुल संपत्ति लगभग 3500 करोड़ रुपये के आसपास है। आमिर भी ब्रांड एंबेसडर के रूप में कई विज्ञापनों में नजर आते हैं और अपने प्रोडक्शन हाउस से भी अच्छी खासी कमाई करते हैं।
5. ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan)
ऋतिक रोशन, बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर में से एक माने जाते हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 3000 करोड़ रुपये है। ऋतिक की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन करती हैं, और वे कई प्रोडक्ट्स के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। इसके अलावा, उनके पास एक शानदार घर और कार कलेक्शन भी है।
रणबीर कपूर बॉलीवुड के सबसे बड़े युवा सितारों में से एक हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 2500 करोड़ रुपये है। रणबीर की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफलता की मिसाल बनती हैं, और वे भी कई विज्ञापनों में नजर आते हैं। साथ ही, वे अपनी परिवारिक प्रॉपर्टी और बिज़नेस से भी मुनाफा कमाते हैं।
7. सोनम कपूर (Sonam Kapoor)
सोनम कपूर न केवल एक अभिनेत्री हैं, बल्कि एक सफल फैशन आइकॉन भी हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 2000 करोड़ रुपये के आसपास है। वे अपने फैशन ब्रांड्स और फिल्मों के जरिए अच्छा पैसा कमाती हैं। साथ ही, सोनम का परिवार भी बॉलीवुड के एक बड़े बिजनेस परिवारों में शामिल है।
8. दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone)
दीपिका पादुकोण बॉलीवुड की सबसे सफल और अमीर अभिनेत्रियों में से एक हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 2000 करोड़ रुपये के आसपास है। दीपिका को फिल्मों के अलावा कई ब्रांड्स के एंबेसडर बनने के लिए जाना जाता है और उनके पास कई बड़ी प्रॉपर्टी और बिज़नेस भी हैं।
9. जॉन अब्राहम (John Abraham)
जॉन अब्राहम अपनी फिटनेस और एक्शन फिल्मों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 1800 करोड़ रुपये है। वे भी कई ब्रांड्स के एंबेसडर हैं और अपनी फिल्मों और विज्ञापनों से अच्छी कमाई करते हैं। इसके अलावा, जॉन को रियल एस्टेट में भी दिलचस्पी है और उन्होंने कई महंगी प्रॉपर्टी खरीदी हैं।
10. वरुण धवन (Varun Dhawan)
वरुण धवन बॉलीवुड के युवा स्टार्स में से एक हैं, जिनकी कुल संपत्ति लगभग 1500 करोड़ रुपये के आसपास है। वे अपनी फिल्मों के जरिए अच्छा पैसा कमाते हैं और विभिन्न ब्रांड्स के साथ काम भी करते हैं। वरुण धवन की सोशल मीडिया पर भी काफी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है, जो उनके ब्रांड वैल्यू को बढ़ाती है।
Puspa 2 Box Office Collection:अल्लु अर्जुन की फिल्म पुष्पा -2 द रूल बॉक्स ऑफिस पैर रिकॉर्ड तोड़ कमाई कर रही है ,शनिवार को फिल्म ने फिर कई रिकॉर्ड तोड़ डाले और इतिहास रच दिया है
साउथ के सुपर स्टार एक्टर अल्लू अर्जुन की फिल्म पुस्पा 2 ड रूल ॉक्स ऑफिस पर एक के बाद एक नए रिकॉर्ड थोड़ रही है ,पुस्पा 2 5 दिसंबर को सिनेमा घरो में रिलीज़ हुए थी ,इस फिल्म को तमिल तेलगु व् हिंदी में रिलीज़ किया गया था ,इस फिल्म का केवल हिंदी में ही 500 करोड़ में शनिवार तक कमाई कर ली थी
पुस्पा 2 ने 10 वे दिन को 500 करोड़ क्लब ने एंट्री ले ली है इतना ही नहीं अगर अल्लू अर्जुन की सभी वर्जन की कमाई जोड़ दे तो भारतीय बॉक्स ऑफिस पर यह आकड़ा 900 करोड़ रुपये हो चूका है
तोडा जवान पठान और दंगल का भी रिकॉर्ड
पुस्पा 2 ने सिर्फ 10 दिन के अंदर सबसे तेजी से 500 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली सभी फिल्मो में से सबसे जल्दी शामिल होने का रिकॉर्ड बनाया है
स्लो डायलॉग बोलकर हंसाने वाले कॉमेडियन असित सेन की कहानी:नौकर की स्टाइल कॉपी कर फिल्मों में स्टार बने, घरवालों से झूठ बोलकर सीखी थी एक्टिंग…
आज हम ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में एक्टिंग और कॉमेडी के लिए मशहूर असित सेन की बात करेंगे । असित सेन अपनी अलग पहचान रखते थे। बेहद धीमी और स्लो आवाज से डायलॉग डिलीवरी करना उनकी खासियत थी। ‘बीस साल बाद’ की अपनी भूमिका में इसी स्टाइल की वजह से वे सुपरहिट हो गए।
असित सेन ने करीब 250 बांग्ला और हिंदी फिल्मों में काम किया। असित सेन के फिल्मों में आने का किस्सा भी दिलचस्प है। जब वे बंबई पहुंचे तो उन्हें मशहूर फिल्मकार बिमल रॉय के साथ बतौर कैमरामैन काम करना था। दरअसल, असित सेन को फोटोग्राफी का बहुत शौक था।
उनका उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में एक फोटो स्टूडियो भी था। फोटोग्राफी के सिलसिले में वह साल 1949-50 में कोलकाता चले गए। वहां उन्होंने न्यू थिएटर जॉइन किया। वहां एक ड्रामा में एक्टिंग के दौरान बिमल रॉय से उनकी मुलाकात हुई।
इनकी कॉमिक टाइमिंग और बोलने के अंदाज को देखते हुए बिमल रॉय ने इन्हें फिल्म ‘सुजाता’ में प्रोफेसर का रोल दिया। इसके बाद असित बेहतरीन कॉमेडियन के तौर पर पहचाने जाने लगे।
परिवार से बोला झूठ, फिल्मों में काम करने गए कलकत्ता असित सेन का जन्म 13 मई 1917 को गोरखपुर के बंगाली परिवार में हुआ था। रोजगार के सिलसिले में उनका परिवार पश्चिम बंगाल के जिला बर्दवान से आकर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बसा था। असित सेन के पिता कभी रेडियो और ग्रामोफोन की दुकान, तो कभी बिजली के सामान की दुकान चलाते थे।
असित सेन को दुकान पर बैठना तो पसंद नहीं था, लेकिन उन्हें फोटोग्राफी का बेहद शौक था, तो कई समारोह में जाकर फोटो खींचने का काम भी करते थे। असित जब 10वीं पास हुए तो मां चाहती थीं कि उनकी शादी करवा दी जाए, लेकिन असित कुछ और ही चाहते थे।
वे कलकत्ता के न्यू थिएटर्स में जाकर डायरेक्टर नितिन बोस से फिल्म मेकिंग सीखना चाहते थे। असित को समझ नहीं आ रहा था कि कलकत्ता कैसे जाएं। तभी एक शादी के सिलसिले में उनका वहां जाना हुआ। कलकत्ता जाकर असित ने परिवार वालों के सामने ये बहाना बनाया कि उन्हें कलकत्ता में रहकर BCom की पढ़ाई करनी है।
फोटोग्राफी दोबारा खींच लाई गोरखपुर
कलकत्ता आकर असित ने थिएटर में भी हाथ आजमाया और कुछ नाटकों में भी काम किया। धीरे-धीरे उन्हें अपने काम के लिए तारीफ मिलने लगी, लेकिन तभी असित को वापस गोरखपुर जाना पड़ा।
दरअसल गोरखपुर के पुलिस कमिश्नर साहब से असित के पिता की अच्छी पहचान थी। उनका गोरखपुर से तबादला हो गया तो शहर में बड़ा विदाई समारोह रखा गया।
इस समारोह में फोटोग्राफी की जिम्मेदारी असित सेन को देकर उन्हें कलकत्ता से वापस गोरखपुर बुलाया गया। सबको असित की खींची तस्वीरें बेहद पसंद आईं।
असित सेन भी अपनी तारीफ से इतना खुश हो गए कि उन्होंने गोरखपुर में सेन फोटो स्टूडियो खोल लिया। उनका फोटो स्टूडियो अच्छा चल रहा था, लेकिन तभी वर्ल्ड वॉर 2 छिड़ गया। उस दौर में इंडिया में फोटोग्राफी का सारा सामान विदेश से आता था। वॉर की वजह से ऐसा हो नहीं पाया और सेन का फोटो स्टूडियो संकट में आ गया।
मां-दादी का हुआ निधन, असित सेन ने छोड़ दी नौकरी
फोटो स्टूडियो बंद होने की कगार पर पहुंचा तो असित सेन को रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी। इस सिलसिले में वो बंबई जा पहुंचे जहां उन्हें एक फिल्म कंपनी में स्टिल फोटोग्राफी का काम मिल गया। नए काम में असित रम गए, लेकिन तभी घर से तार मिला कि मां बीमार हैं, घर आ जाओ।
असित तुरंत गोरखपुर गए। खबर मिली थी मां की बीमारी की, लेकिन उनसे पहले असित की दादी चल बसीं। दादी के निधन के कुछ समय बाद असित की मां का भी निधन हो गया। तीन महीने के अंदर ही घर में हुई दो मौतों से असित टूट गए। न उनसे गोरखपुर में रहा जा रहा था और न ही वे बंबई जाकर दोबारा काम करने की हिम्मत जुटा पा रहे थे।
बिमल रॉय का असिस्टेंट बन शुरू किया फिल्मी करियर
एक दिन असित ने दिल पक्का किया और सब कुछ पीछे छोड़कर फिर से कलकत्ता पहुंच गए। कलकत्ता जाकर असित सेन के साथ क्या हुआ, ये उन्होंने खुद 1960 में दिए एक इंटरव्यू में बताया था, ‘वहां जाकर मेरी मुलाकात अपने दोस्त कृष्णकांत से हुई जो फिल्म ‘बनफूल’ में कानन बाला के साथ काम कर रहा था। कृष्णकांत ने मेरी मुलाकात एक्ट्रेस सुमित्रा देवी और उनके पति देव मुखर्जी से करवाई।
दोनों से ये जान-पहचान आगे मेरे बहुत काम आई। उनकी बदौलत ही मेरी मुलाकात फिल्ममेकर बिमल रॉय से हुई, जो कि तब तक अपनी पहली बंगाली फिल्म ‘उदयेर पाथे’ बना चुके थे और अब हिंदी में बनाने की तैयारी कर रहे थे।
‘उन्हें एक ऐसे असिस्टेंट की तलाश थी जो कि हिंदी में माहिर हो तो उन्होंने मुझे रख लिया। मुझसे पहले वो असिस्टेंट रख चुके थे तो मैं तीसरा असिस्टेंट था, लेकिन धीरे-धीरे अपने काम की बदौलत मैं उनका पहला असिस्टेंट बन गया। इसके साथ मैं कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे काम भी करने लगा। मेरी सबसे पहली फिल्म ‘हमराही’ थी, जिसमें बहुत ही छोटा सा रोल प्ले किया।’
1945 से 1949 तक असित सेन न्यू थियेटर्स से ही जुड़े रहे। 50 की शुरुआत में ही बिमल रॉय ने बंबई जाने का फैसला किया और असित सेन को भी अपनी टीम का हिस्सा बनाकर ले गए।’
बिमल रॉय ने बना दिया डायरेक्टर
1956 तक असित सेन बिमल दा के असिस्टेंट बने रहे। 1953 में आई ‘दो बीघा जमीन’ में बतौर प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव और 1953 में रिलीज हुई ‘परिणीता’, 1954 में ‘बिराज बहू’ और 1955 में आई फिल्म ‘देवदास’ में उन्हें बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर क्रेडिट दिया गया। 1956 में बिमल दा ने असित सेन को अपनी ही फिल्म कम्पनी बिमल रॉय प्रोडक्शंस के बैनर में फिल्म ‘परिवार’ के डायरेक्शन का मौका दिया।
इसके तुरंत बाद ही 1957 में असित सेन ने फिल्म ‘अपराधी कौन?’ डायरेक्ट की। इन दो फिल्मों को डायरेक्ट करने के बाद असित फिर से अभिनय की ओर मुड़ना चाहते थे।
डायलॉग बोलने की अनोखी स्टाइल ने बनाया फेमस
उन्होंने फिल्म छोटा भाई साइन कर ली। इस फिल्म में असित को बुद्धू नौकर के किरदार में कॉमेडी करनी थी। उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाए। तभी उन्हें ख्याल आया कि बचपन में उनके घर में एक नौकर एकदम स्लो टेम्पो में बोलता था- ‘का हो बाबू.. का करत हव…’ असित सेन ने उसी स्टाइल को कॉपी कर लिया। ये ट्रिक काम कर गई और असित सेन के पास कॉमेडी रोल्स की लाइन लग गई।
बेहद कम स्पीड में डायलॉग बोलने वाले स्टाइल की वजह से डायरेक्टर उनसे हर फिल्म में इसी तरह से डायलॉग बोलने की मांग करने लगे। खुद बिमल रॉय ने असित की डायलॉग डिलिवरी से प्रभावित होकर उन्हें फिल्म सुजाता में रोल दिया। असित सेन को एक ही तरह की स्टाइल में टाइप्ड होने का डर सताने लगा, लेकिन 1961 में आई फिल्म ‘बीस साल बाद’ ने उन्हें इसी स्टाइल की वजह से बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
इस फिल्म में उन्होंने गोपीचंद जासूस का किरदार निभाया था। गोपीचंद जासूस वाला उनका यह किरदार इतना पॉपुलर हुआ कि इसकी बार-बार नकल की गई। और तो और 1982 में अभिनेता राजेंद्र कुमार के भाई फिल्ममेकर नरेश कुमार ने एक फिल्म ‘गोपीचंद जासूस’ ही बना दी।
250 फिल्मों में किया काम
इसके बाद 1963 में ‘चांद और सूरज’, 1965 में ‘भूत बंगला’, 1967 में ‘नौनिहाल’, 1968 में ‘ब्रह्मचारी’, 1969’ में ‘यकीन’ और ‘आराधना’, ‘प्यार का मौसम’, 1970 में ‘पूरब और पश्चिम’, ‘दुश्मन’, ‘मझली दीदी’, ‘बुड्ढा मिल गया’, 1971 में ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘आनंद’, ‘दूर का राही’, ‘अमर प्रेम’, 1972 में ‘बॉम्बे टु गोवा’, ‘बालिका वधू’, 1976 में ‘बजरंग बली’ समेत 250 फिल्मों में साइड किरदार निभाए।
पत्नी की मौत का लगा सदमा, चल बसे असित सेन
असित सेन की शादी मुकुल से हुई थी, जो कलकत्ता की रहने वाली थीं। दोनों के तीन बच्चे हुए। दो बेटे अभिजीत और सुजीत सेन और एक बेटी रूपा। अभिजीत सेन दुलाल गुहा जैसे नामी निर्देशक के असिस्टेंट रहे और फिर बांग्ला फिल्मों में काम कर रहे हैं। सुजीत सेन कैमरामैन हैं।
असित सेन की पत्नी मुकुल सेन काफी बीमार पड़ गई थीं, जिसके कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई । पत्नी की मौत से असित सेन अकेले हो गए और इतना टूट गए कि कुछ महीने बाद वह भी इस दुनिया से चल बसे।